भूकंप आने से पहले मिल सकेगी चेतावनी

वैसे तो भूंकंप से होने वाले नुकसान को रोका नहीं जा सकताए लेकिन यदि कुछ समय पहले इसे आने की चेतावनी मिल जाए तो इस आपदा से होने वाले जान.माल के नुकसान को कुछ कम करने में मदद जरूरत मिल सकती है। इस दिशा में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान ;आइआइटीद्ध रुड़की ने एक बड़ा कदम बढ़ाया है। आइआइटी द्वारा भूकंप अभियांत्रिकी विभाग की ओर से उत्तरकाशी से चमोली तक 84 और पिथौरागढ़ से धारचूला तक 71 सेंसर लगाए जा रहे हैं। वैसे तो भूकंप की दृष्टि से हिमालय क्षेत्र से लेकर पूरा उत्तराखंड राज्य ही संवेदनशील हैए लेकिन जोशीमठ से उत्तरकाशी और पिथौरागढ़ से धारचूला तक के क्षेत्र को विशेषज्ञ अति संवेदनशील मानते हैं। यही वजह है कि पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के अर्थक्वेक अर्ली वार्निंग सिस्टम फॉर नार्दर्न इंडिया प्रोजेक्ट के तहत आइआइटी रुड़की की ओर से भूकंप से अलर्ट के लिए चमोली से उत्तरकाशी और पिथौरागढ़ से धारचूला तक सेंसर लगाए गए हैं। आइआइटी रुड़की के भूकंप अभियांत्रिकी विभाग के प्रोफेसरए प्रोजेक्ट के इंवेस्टीगेटर प्रोण् एमएल शर्मा के अनुसारए अभी तक ऐसी कोई टेक्नोलॉजी विकसित नहीं हुई हैए जिसके माध्यम से यह पता लगाया जा सके कि भूकंप कबए कहां और कितनी तीव्रता का आएगाए लेकिन अर्ली वॉर्निंग सिस्टम के जरिये जरूर भूकंप आने की समय रहते चेतावनी जारी की जा सकती है। उन्होंने बताया कि अर्ली वार्निंग सिस्टम के तहत जिन क्षेत्रों में सेंसर लगाया गया हैए वहां पर यदि भूकंप आता है तो उससे देहरादून में 15 सैकंेडए रुड़की में 20 सैकेंड और दिल्ली में लगभग एक मिनट पहले चेतावनी दी जा सकती है। चेतावनी जारी होने से जान.माल के नुकसान को कम करने में मदद मिल सकती है। शर्मा ने बताया कि हिमालयी क्षेत्र में विवर्तनिकी प्लेट ;टेक्टोनिक प्लेटद्ध की गतिविधि की वजह से भूकंप आता है। इसलिए देहरादून के लोगों को भूकंप से पहले सिर्फ 11 सैकेंड का समय मिलेगाए जबकि दिल्ली में रहने वाले लोगों को भूकंप से एक मिनट पहले इसकी चेतावनी मिल जाएगी। भले ही इतना कम वक्त इमारतों को खाली कराने के लिए काफी न होए लेकिन इस चेतावनी की वजह से लोग खुद को खतरनाक चोटों से बचा सकते हैं। वहींए परमाणु ऊर्जा संयंत्र बंद करनेए मेट्रो ट्रेन रोकने या गैस आपूर्ति रोकने में एक मिनट का समय मिलने से मदद मिल सकती है। उन्होंने कहाए ष्हम इमारतों को नहीं बचा सकतेए लेकिन कुछ और जानें तो बचा सकते हैं।ष्

प्रोण् शर्मा ने बताया कि इस प्रोजेक्ट के तहत देहरादून और हल्द्वानी के अस्पतालोंए स्कूलों और सरकारी भवनों में 40 से अधिक सायरन भी लगाए गए हैं। इन सायरन के माध्यम से करीब आधा किमी तक भूकंप को लेकर चेतावनी जारी की जा सकती है। इसके अलावा आइआइटी रुड़की के हॉस्टल में भी सायरन लगाए गए हैं। उन्होंने बताया कि सेंसर के माध्यम से भूकंप की चेतावनी तभी जारी होगी जब इन क्षेत्रों में छह तीव्रता से अधिक का भूकंप आएगा।

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