रोबोटिक्स की दुनिया

मशीन को भी नागरिकता मिल सकती है! आप सोचेंगे कि यह कैसा सवाल हैघ् लेकिन कुछ समय पहले सऊदी अरब द्वारा सोफिया नामक रोबोट (ह्यूमनॉयड) को अपने देश की नागरिकता देना पूरी दुनिया में चर्चा में रहा था। इस साल फरवरी महीने में सोफिया भारत में आयोजित वर्ल्ड कांग्रेस ऑन इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी में शामिल हुई थीए जहां वह लोगों के आकर्षण का केंद्र बनी रही। दरअसलए इसका लुक मशहूर ब्रिटिश एक्ट्रेस ऑड्रे हेपबर्न से मिलता.जुलता है। यह तेजी से नई.नई चीजें सीख रही है। हर नए पब्लिक अपीयरेंस में वह पहले से अधिक स्मार्ट दिखती है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर आधारित सोफिया विजुअल डाटा प्रोसेसिंग के साथ चेहरे पहचान सकती है। वह इंसानों जैसे हाव.भाव प्रकट करती है। साथ हीए कुछ खास सवालों के जवाब देने के अलावा मौसम आदि विषयों पर बातचीत कर सकती है। अल्फाबेट इंक ने इसकी वॉयस रिकग्निशन टेक्नोलॉजी तैयार की है। वैसेए हॉन्ग कॉन्ग स्थित हैनसन रोबोटिक्स के लीड अमेरिकन साइंटिस्ट डेविड हैनसन ने इसे विकसित किया है।
आज टेक्नोलॉजी और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस वह सारे कमाल कर रहा हैए जो हमरी कल्पनाओं में होते हैं। जैसे अगर आपके पास सामान उठाने वाला कोई मददगार इंसान नहीं हैए तो ष्गीटा बॉटष् आपकी मदद करेगा। यह एक ऐसा रोबोट हैए जो सामान को आसानी से उठाकर आपके साथ.साथ चल सकता है। इसी तरहए अगर घर में बच्चों का मनोरंजन करना हैए तो ष्कुरीष् और ष्बडीष् जैसे रोबोट सहायता कर सकते हैं।
ये रोबोट लोगों को रोजाना के कार्यों में मददए उन्हें रिमाइंड करानेए किचन में खाना बनानेए म्यूजिक बजाने से लेकर खास पलों की तस्वीरें खींचने में मदद कर सकते हैं। ष्कुरीष् आवाजए स्पर्श एवं लाइटिंग सिस्टम पर प्रतिक्रिया दे सकता हैए तो ष्बडीष् से वीडियो कॉल व घर की निगरानी तक कर सकते हैं। यह आपके सभी स्मार्टहोम डिवाइसेज को जोड़ देता है।
साफ.सफाई में मददगार रोबोट ;रूम्बा 980द्ध
दोस्तोए घर में जब मम्मी या पापा कोई काम करने के लिए कहते हैंए तो अधिकतर बच्चों को वह पसंद नहीं आता। आखिर कौन चाहता है बोरियत भरे काम करनाघ् लेकिन वही काम अगर काउच पर बैठे.बैठे हो जाएए तो क्या कहनाघ् ष्रूम्बा.980ष् एक ऐसा ही स्टर्डी रोबो वैक्यूम क्लीनिंग डिवाइस हैए जो अल्ट्रामॉडर्न डिजाइन और खूबसूरत दिखाई देने वाले एस्थेटिक्स के साथ आता है।
यह वाई.फाई से कनेक्ट हो सकता है। इसमें एक एज क्लीनिंग ब्रश लगा होता हैए जो कमरे के कोनों में जमे धूल व कचरे को साफ कर देता है। मजे की बात यह है कि यदि आप घर पर नहीं हैंए तब भी अपने स्मार्टफोन की मदद से इसे एक्टिव कर सकते हैं। बैटरी डाउन होने पर खुद.ब.खुद अपने टर्बो चार्जिंग क्रेडल में डॉक करता है।

सिक्योरिटी में तैनात रोबोट ;रोबोकॉपद्ध बीते वर्ष दुबई ने दुनिया का पहला ऑपरेशनल रोबो पुलिस अधिकारी नियुक्त कियाए जो शहर की निगरानी करता है। इस रोबोकॉप की ऊंचाई 5 फीट है और वजन 100 किलो। ये न सिर्फ डेढ़ मीटर की दूरी से हाथ हिलाने को समझ पाते हैंए बल्कि चेहरे के एक्सप्रेशन और भावनाओं को भी समझ सकते हैं। दावा यह भी है कि रोबोकॉप बता सकते हैं कि आप कब खुश हैं और कब दुखीघ् चेहरे की भावनाओं को देखकर ही वे अपना रिस्पॉन्स देते हैं। ये छह भाषाओं में बात कर सकते हैं। रोबोकॉप में लगे सॉफ्टवेयर से अपराधियों की शिनाख्त भी की जा सकती है। इसके अलावाए ये घटनाओं की लाइव फीड पुलिस कंट्रोल रूम में भेज सकते हैं। ये सोशल मीडिया से भी जुड़ सकते हैं।

रक्त वाहिकाओं में तैरकर नन्हा रोबोट पहुँचाएगा ष्दवाष्
रोबोटिक्स की दुनिया में नैनो टेक्नोलॉजीए मेिडकल का संयुक्त प्रयोग आशातीत सफलता हासिल कर रहा है। वैज्ञानिक निरंतर इसी दिशा में प्रयासरत हैं कि इसके जरिये हमारे कार्यों को आसान किया जा सके। इतना ही नहीं इन सभी की मदद से चिकित्सा क्षेत्र में भी बदलाव दिखाई दे रहा है। इसी क्रम में वैज्ञानिकों ने एक और बड़ी सफलता हासिल भी की है। उन्होंने एक ऐसा नन्हाए स्मार्ट रोबोट विकसित किया है जो रक्त वाहिकाओं से तैर सकता है। वैज्ञानिकों का कहना है कि इसकी मदद से भविष्य में रोगग्रस्त ऊतकों तक सीधे दवाएं पहुँचाई जा सकेंगी एवं उन्हें स्वस्थ किया जा सकेगा। स्विट्जरलैंड के स्विस फेडरल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी लॉजेन ;ईपीएफएलद्ध और ईटीएच ज्यूरिख के शोधकर्ताओं ने बैक्टीरिया से प्रेरित होकर इस अत्यधिक लचीले ष्बायोकेपेटिबल माइक्रो.रोबोटष् को डिजाइन किया है। इससे रोगी का उपचार भी आसानी से हो सकेगा।
इस तरह किया तैयाररू
इसे तैयार करने वाले वैज्ञानिकों बताते हैंए इस नन्हे उपकरण को हाइड्रोजेल नैनोकंपोजिट से तैयार किया हैए जिसमें चुंबकीय नैनोपार्टिकल्स होते हैं। इससे उन्हें विद्युत चुंबकीय क्षेत्र के माध्यम से नियंत्रित किया जा सकता है।
ये है खासियतः
ईपीएफएल के सेल्समैन साकार के मुताबिकए हमने अपने रोबोट को इस तरह तैयार किया है कि वह अपने आस.पास के तरल पदार्थ की विशेषता के अनुकूल स्वयं को ढाल कर आगे बढ़ सकता है। यह जरूरत के अनुसार स्वयं आकार बदल सकता है। हमें सिर्फ इसे लक्ष्य बताना होता हैए जबकि वहां तक का सफर यह स्वयं पूरा करने में सक्षम है। यह रिसर्च ष्साइंस एडवांसेज जर्नलष् में प्रकाशित किया गया है। इसमें बताया गया है कि यह नन्हा रोबोट किस तरह अपना रास्ता बनाते हुए रोगग्रस्त ऊतक तक सीधे पहुँचने में सक्षम हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि इस खास रोबोट को इस तरह तैयार किया गया है कि ये आसानी से तरल पदार्थ के माध्यम से तैर सकता है और जरूरत के अनुसार अपने आकार को बदलने में भी सक्षम है। यही वजह है कि यह आसानी से संकरी रक्त वाहिकाओं में भी तैर सकता है और वो भी उतनी गति से जितनी जरूरत हो। इस रोबोट के आकार को एक खास विधि के जरिये प्रोग्राम किया गया हैए ताकि यह आसानी से तरल पदार्थों के माध्यम से उस ऊतक तक दवा पहुँचा सके जहां जरूरत है।

बेल की तरह चढ़ने वाला रोबोट
दु निया भ्ार के वैज्ञानिक ऐसे रोबोट्स पर काम कर रहे हैंए जो आने वाले दिनों में हमारा काम आसान कर सकें। इटली के वैज्ञानिकों ने एक ऐसा लचीला रोबोट विकसित किया हैए जो बेल की तरह गति करने में सक्षम है। वैज्ञानिकों का कहना है कि इसकी मदद से आनेवाले समय में पहने जा सकने वाले ऐसे उपकरण तैयार करने का मार्ग प्रशस्त होगाए जो अपना आकार बदलने में सक्षम होंगे। इटली स्थित इंस्टीट्यूट इटेलियन डी टेक्नोलॉजी के वैज्ञानिकों ने विभिन्न पौधों और उनकी गति का अध्ययन किया और उसी से प्रेरित होकर यह नया लचीला रोबोट तैयार किया। वैज्ञानिकों का कहना है कि पौधों की गति और उनकी वृद्धि का आपस में संबंध होता है। पौधे निरंतर बाहरी वातावरण के अनुरूप गति करते हुए बढ़ते हैं। यहाँ तक कि हवा के सम्पर्क में आने पर पौधों के अंग तेजी से गति करते हैं। उदाहरण के तौर पर मांसाहारी पौधों की पत्तियों का बंद होना या चढ़ने वाली बेल का आगे बढ़नाए यह सब पौधों को गति भी कराता है और उनको बढ़ाता भी है। इस तरह शोधकर्ताओं ने किसी चीज की गति के लिए कुदरती तरीकों का अध्ययन कियाए जिसमें पौधों की कोशिकाएंए ऊतकों और अंगों की वृद्धि को अपने रोबोट का आधार बनाया। इसके लिए उन्होंने ऑसमोसिस नामक हाइड्रोलिक सिद्धांत की मदद से अपना रोबोट विकसित किया। वैज्ञानिकों का कहना है कि उन्होंने इन पौधों के बेहद धीमी गति को समझने के लिए एक सरल गणितीय मॉडल तैयार किया। इसके आधार पर उन्होंने एक बेल के आकार का रोबोट तैयार किया और हाइड्रोलिक सिद्धांत के आधार पर वे उसे गति कराने में सफल हुए।

लेखिका: प्रियंका द्विवेदी

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