कृत्रिम बुुद्धि औैर रोेबोेटिक्स का दौैर

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी कि कृत्रिम बुद्धि जिसका सीधा संबंध मशीनी उपकरण से होता है। यह कंप्यूटर की ऐसी प्रोग्रामिंग है जिसमें मशीन हमारे जीवन से जुड़े काम अपने हाथ में ले लेती हैं। इसमें कोई दो राय नहीं कि कंप्यूटर के आविष्कार और इससे जुड़ी प्रौद्योगिकी में अनवरत हो रहे विकास ने दुनिया और मानव समाज की तस्वीर बदल कर रख दी है। शिक्षा, बैंकिंग, रेल, वायुयान परिवहन, औषधि निर्माण, उपग्रह प्रक्षेपण आदि जैसे मानव जीवन के हर क्षेत्र में कंप्यूटर मनुष्य के एक्सटेंडेड आर्म या उसके सहयोगी की भूमिका निभा रहा है।

एआई: मशीनी दिमाग
मनुष्य ने समय के साथ कंप्यूटरों की गति और क्षमता दोनों में अत्यधिक प्रगति की है। अब ये महज मशीन नहीं बल्कि इंटेलिजेंट मशीन बन चुके हैं। कंप्यूटर की शब्दावली में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) एक ऐसा सिमुलेशन या अनुरूपण है जिसमें मशीनों को इंसानी दिमाग जैसी होशियारी दी जाती है। इसलिए इन्हें मशीनी दिमाग या कृत्रिम बुद्धि की संज्ञा से नवाजा गया। ऐसा खासतौर पर कंप्यूटर सिस्टम में ही अंजाम दिया जाता है। इस प्रक्रिया में तीन चरण हैं।

पहला है लर्निंग जिसमें मशीन के दिमाग यानी सीपीयू में सूचना डाली जाती है और उन्हें कुछ नियम सिखाए जाते हैं ताकि वो उन नियमों का पालन करके दिए गए काम को पूरा कर सकें। अब दूसरा है रीजनिंग यानी कि तर्क क्षमता। इसके अंतर्गत कंप्यूटर को यह निर्देश दिया जाता है कि वो उन बनाए गए नियमों का पालन करके नतीजों की तरफ बढ़े जिससे कि उन्हें संभावित और सटीक निष्कर्ष हासिल हो सकें। इसके बाद तीसरे चरण में है, सेल्फ कलेक्शन अर्थात अपने में सुधार या संशोधन करके सही नतीजे पर पहुँचना।

अगर हम गौर करें तो पाएँगे कि मनुष्य का दिमाग भी इसी प्रक्रिया से होकर गुजरता है। दूसरे शब्दों में यह कहना अधिक उपयुक्त होगा कि मशीन को इंटेलिजेंट बनाने के लिए मानव दिमाग का अनुकरण किया जाता है। हमारा दिमाग किसी भी समस्या को पहले सीखता है, फिर उसे उचित या अनुचित करार देने का निर्णय करता है और अंत में इस समस्या का समाधान करके तर्कसंगत निष्कर्ष तक पहुँचता है। मानव दिमाग और उसकी वृद्धि की इसी प्रक्रिया का इस्तेमाल कंप्यूटर में एआई के तौर पर किया गया है। मशीनों को इंसानी दिमाग की सारी विशेषताएँ प्रदान की जा रही हैं ताकि वो बेहतर काम कर सके और हमारा काम आसान हो जाए।

एआई के बढ़ते कदम

एआई का विचार सबसे पहले 1956 में अमेरिकी कंप्यूटर वैज्ञानिक जान मैक्कार्थी ने दिया था। इस कंप्यूटर प्रौद्योगिकी के बारे में वे एक सम्मेलन में अपनी बात रख रहे थे। आज आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का काफी विस्तार हो गया है। रोबोटिक विज्ञान से जुड़ी समस्त प्रौद्योगिकियाँ इसी के अंतर्गत आती हैं। पिछले कुछ वर्षों में इसने अपार लोकप्रियता हासिल कर ली है क्योंकि इसमें बिग डाटा प्रौद्योगिकी का समावेश हो गया है। इसकी दिनों दिन बढ़ती गति, कार्य क्षेत्र और डाटा बिजनेस की विविधता के कारण देश दुनिया की अनेक कंपनियाँ इस प्रौद्योगिकी को तेजी से अपनाने लगी हैं। एआई की सहायता से ‘रा डाटा’ में पैटर्न को पहचानना बेहद आसान हो गया है। इस काम में मनुष्य से तमाम गलतियाँ होती हैं लेकिन कंप्यूटर से नहीं। इस वजह से कंपनियों के थोड़े समय में कंप्यूटर एआई की मदद से ज्यादा काम कर देता है। इस प्रौद्योगिकी के विकास की पृष्ठभूमि में मनुष्य की यही मंशा थी कि वह ऐसी इंटेलिजेंट मशीन का निर्माण करे जो हमारी ही तरह बुद्धिमान हो और हमारे जैसा सोचने की जिसमें क्षमता हो। आज एआई की मदद से रोबोट और ऐसे कंप्यूटर सिस्टम का निर्माण किया जा रहा है जो न केवल इंटेलिजेंट व्यवहार प्रदर्शित करते हैं बल्कि अपने यूजर को एडवाइस भी करते हैं।

एआई मुख्य रूप से दो प्रकार होते हैं कमजोर और मजबूत। कमजोर एआई को कुछ इस तरह से डिजाइन किया जाता है कि वे केवल एक निश्चित काम को संपन्न करें। वहीं दूसरी तरफ मजबूत एआई अनेक प्रकार के काम करने में समर्थ होता है। परिस्थिति के अनुसार कंप्यूटर को कठिन या पेंचीदा टास्क दे दिया जाए तो वह उसका निष्कर्ष देता है।

दैनिक जीवन में एआई

एआई के उपयोग की अगर हम बात करें तो स्वास्थ्य के क्षेत्र में इसका व्यापक प्रयोग किया जा रहा है। इस क्षेत्र में सबसे बड़ी चुनौती है कि मरीजों को कम लागत में बेहतर इलाज दिया जा सके। इस चुनौती से निपटने के लिए हेल्थ केयर से जुड़ी कंपनियाँ एआई का इस्तेमाल अस्पताल में कर रही हैं। इसके साथ ही अब सामान्य बीमारियों के लिए अब एआई युक्त स्वास्थ्य सहायता तकनीक भी आ गई हैं जिनकी मदद से लोग बीमारियों का इलाज करवा रहे हैं। एआई के इस्तेमाल से हेल्थ केयर उद्योग में एक बड़ी क्रांति दस्तक देने लगी है। रोबोटिक प्रासेस आटोमेशन की सहायता से व्यवसाय जगत उपभोक्ताओं को पहले से बेहतर सेवाएँ प्रदान करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है।

शिक्षा के क्षेत्र में भी एआई की भूमिका सामने आ रही है और इस दिशा में नवाचारी प्रयोग भी चल रहे हैं। इसकी मदद से अब आटोमेटेड ग्रेडिंग की जा सकती है। विद्यार्थियों के कमजोर विषयों में सुधार लाने, उनका पता लगाने के मामलों में भी एआई मददगार साबित होगा। इनके अलावा कानून और मैन्युफैक्चरिंग जैसे अनेक क्षेत्रों में भी एआई का उपयोग किया जाने लगा है।

रोबोट का रौैब

एआई जिस मुख्य युक्ति या टूल के जरिए काम करता है, वह रोबोट है। रोबोट की पहले कल्पना की जाती थी लेकिन आज रोबोटिक विज्ञान में इतनी उन्नति हो गई है कि इसने मानव जीवन के लगभग हर क्षेत्र में सहूलियत प्रदान की है। तथा हर दिन इसमें नए आयाम जुड़ रहे हैं और रोबोटिक विज्ञान का विस्तार हो रहा है।

अगर हम रोबोटिक विज्ञान के विकास की बात करें तो दुनिया का सबसे पहला रोबोट 1495 ईसवीं में लियोनार्दो दा विंसी ने बनाया था। उस समय रोबोट को आटोमेटान कहा जाता था। 1920 के बाद इसे ‘रोबोट’ कहा जाने लगा। शुरुआत में रोबोट की कल्पना पर आधारित विज्ञान कथाएं लिखी गईं। इस विषय के मशहूर विज्ञान कथाकार हुए हैं आइजक आसिमोव। 1942 में आसिमोव ने रोबोट से जुड़े तीन नियम बनाए। किताब के पन्नों से निकलकर रोबोट हालीवुड सिनेमा के सिल्वर स्क्रीन पर भी दिखने लगे।

सबसे पहला पूर्ण आकार का मानव रूपी रोबोट 1973 में बनाया गया। इसके बाद रोबोटिक विज्ञान में तेजी से अनुसंधान किया जाने लगा। 1985 में रोबोट का उपयोग संगीत बजाने में किया गया। उसके बाद 1997 में रोबोट ने बातें करना सीख लिया। 2003 के आते-आते वे मशीन से परिष्कृत होकर मनुष्य के जैसे बना दिए गए। 2015 तक रोबोट से दरवाजा खोलने, सामान ले जाने और स्वयं को जमीन से उठाने जैसे काम कराए जाने लगे।

कई देशों में रोबोट को कार्यालय में अनेक दायित्व दिए गए हैं, जिन्हें वे बखूबी निभा रहे हैं। सऊदी अरब ने तो रोबोट को नागरिकता तक दे दी है। वह ऐसा करने वाला वह दुनिया का पहला देश बन गया है। यह नागरिकता पिछले साल 2017 में ह्यूमनायड यानी कि मनुष्य जैसे रोबोट सोफिया को दी गई है। यह नागरिकता मिलने के बाद सोफिया का कथन कुछ इस प्रकार था, “मैं यह अनोखी उपाधि पाकर बहुत ही सम्मानित और गौरवांवित महसूस कर रही हूं। मैं मनुष्य के जीवन को बेहतर बनाने के लिए अपने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल करना चाहती हूं।”

रोबोट पर हम मनुष्यों की दिन-ब-दिन बढ़ती निर्भरता कहीं हमारे लिए सुविधा और आराम के साथ खतरे की घंटी न बन जाए। इस खतरनाक आशंका को लेकर पूरी दुनिया के अनेक विज्ञान कथाकारों ने कथाएं लिखी हैं। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग करके इन मशीनों को शक्तिशाली और समझदार बनाकर कहीं हम स्वयं को कमजोर तो नहीं कर रहे। उस दिन क्या होगा जब एआई युक्त रोबोट मनुष्यों के आदेश मानने से इनकार कर देंगे? इन सवालों और आशंकाओं के बीच इतना तो जरुर है कि एआई और रोबोटिक विज्ञान वर्तमान समय में मनुष्य जाति के लिए और मानव समाज के लिए अत्यंत लाभकारी साबित हो रहे हैं।

Writer: Manish Mohan Gore

Email: mmgore1981@gmail.com

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *