बदलते जमाने के नए पाठ्यक्रम : नया दौर, नए कोर्सेस

भूमंडलीकरण के दौर में पारंपरिक ज्ञान के अतिरिक्त कुछ नवीन और लीक से हटकर ज्ञान की आवश्यकता है। वक्त बदल रहा है तो चुनौतियां भी बदल रहीं हैं। अब ये चुनौतियां छात्र जीवन में शामिल हो चुकी हैं, स्कूल लाइफ के बाद तो चुनौतियों के सफर की शुरूआत हो ही जाती है। इसलिए समय रहते ही निर्धारित वक्त में ही छात्र करियर को सही दिशा देकर जिंदगी की राह आसान कर सकते हैं। तेजी से बदलते समय में कुछ नया और लीक से हटकर कोर्सेस को चुन लिया जाएं तो करियर में संभावनाएं भी बढ़िया हो जाएंगी। पहले छात्र अधिकतर पारंपरिक कोर्सेस मसलन बीए, बीएससी, बीकॉम आदि में प्रवेश लेते थे लेकिन अब जॉब ओरिएंटेड अनेक कोर्स हैं जिनमें प्रवेश लेकर छात्र ग्लोबल मार्केट के लिए स्वयं को तैयार कर सकते हैं।

विकल्पों का बाजार

विज्ञान शाखा से 12वीं के बाद ज्यादातर विद्यार्थी इंजीनियरिंग और एमबीबीएस की ओर रुख करने का सपना संजोते हैं। इंजीनियरिंग कोर्स की भारी मांग है, लेकिन इंज ीनियरिंग के बाद अच्छी नौकरी मिले ऐसा जरूरी नहीं है। डिग्री के साथ आपके पास कम्युनिकेशन स्किल, विषय का ज्ञान और न्यूमेरिकल एबिलिटी का होना भी जरूरी है। इंजीनियरिंग के क्षेत्र में एनर्जी सेक्टर, डेटा एनालिटिक्स, मैन्युफैक्चरिंग और ऑटो सेक्टर में करियर का विकल्प होता है। ध्यान रखें कि डिग्री के साथ प्रोजेक्ट और इंटर्नशिप भी करें। साथ ही अपने विषयों से जुडे़ दूसरे कोर्स भी करें। पहले स्टूडेंट्स के पास मेडिकल, इंजीनियरिंग जैसे कुछेक करियर के ऑप्शन ही होते थे, लेकिन अब ऐसी बात नहीं है। आज इंजीनियरिंग, मेडिकल, लॉ, टीचिंग जैसे परंपरागत विषयों के साथ-साथ सैकड़ों नए विकल्प भी सामने आ गए हैं। ऐसे में एक या दो विषय में ही उच्च शिक्षा हासिल करने की मजबूरी नहीं रह गई है। बारहवीं के बाद ही तय करना होता है कि आप प्रोफेशनल कोर्स करना चाहते हैं या फिर एकेडमिक कोर्स।

प्रोफेशनल कोर्सेस की धमक
ग्लोबलाइजेशन के इस दौर में बारहवीं के बाद बीए, बीकॉम, बीएससी जैसे ट्रेडिशनल कोर्साे के अतिरिक्त भी आज ऐसे अनेक प्रोफेशनल कोर्स उपलब्ध हैं, जिन्हें करने के बाद खासकर कॉर्पाेरेट वर्ल्ड में बेहतर मुकाम हासिल किया जा सकता है। इनमें आईटी और मैनेजमेंट फील्ड से संबंधित कोर्स प्रमुख हैं। इन कोर्साे की विशेषता यह है कि इन्हें करने के बाद अक्सर कैम्पस रिक्रूटमेंट के माध्यम से बड़ी-बड़ी कंपनियों द्वारा आकर्षक पैकेज पर जॉब प्लेसमेंट कर लिया जाता है। ऐसे कोर्साे में प्रमुख हैं: बैचलर ऑफ बिजनेस मैनेजमेंट (बीबीए), बैचलर ऑफ कम्प्यूटर ऐप्लिकेशंस (बीसीए), डिप्लोमा इन होटल मैनेजमेंट, डिप्लोमा इन होटल मैनेजमेंट एंड कैटरिंग टेक्नोलॉजी, बैचलर इन इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी (बीआईटी), रिटेल मैनेजमेंट, बीएससी (कम्प्यूटर स्टडीज), डिप्लोमा इन एडवरटाइजिंग, प्रमोशन एंड सेल्स मैनेजमेंट, ट्रेवल एंड टूरिज्म, फैशन डिजाइनिंग, इवेंट मैनेजमेंट, जनलिज्म पब्लिक रिलेशन आदि।

ये सब आज के जमाने के ऐसे ऑप्शंस हैं, जिनकी कॉर्पाेरेट वर्ल्ड में हमेशा मांग बनी रहती है। इसके अलावा कुछ अन्य विकल्प भी हैं, जैसे-एनिमेशन, ग्राफिक डिजाइनिंग, एस्ट्रोनॉमी, लिंग्विस्टिक, एविएशन आदि के शॉर्ट टर्म कोर्स कर भी आप अपना करियर सवांर सकते हैं। इस तरह के शॉर्ट टर्म कोर्सो को कोई और रेगुलर कोर्स या जॉब करते हुए भी कर सकते हैं। 12वीं के बाद आप किसी भी प्रोफेशनल कोर्स में भी एडमिशन ले सकते हैं। आप आईटी और मैनेजमेंट से जुड़े कोई कोर्स कर सकते हैं। बैचलर ऑफ बिजनेस मैनेजमेंट (बीबीए), बैचलर ऑफ कम्प्यूटर ऐप्लिकेशंस (बीसीए), डिप्लोमा इन होटल मैनेजमेंट, डिप्लोमा इन होटल मैनेजमेंट एंड कैटरिंग टेक्नोलॉजी, बैचलर इन इंफॉर्मेशन टेक्नॉलजी (बीआईटी), रिटेल मैनेजमेंट, बीएससी (कम्प्यूटर स्टडीज), डिप्लोमा इन एडवर्टाइजिंग, प्रमोशन एंड सेल्स मैनेजमेंट, ट्रैवल एंड टूरिज्म, फैश्न डिजाइनिंग, इवेंट मैनेजमेंट, पब्लिक रिलेशन जैसे कोर्स करने के बाद आपको रोजगार की कमी नजर नहीं आएगी। अगर आपमें जुनून है और देश के लिए कुछ करना चाहते हैं तो आपके लिए नेशनल डिफेंस सर्विस (एनडीए) एक बेहतर विकल्प हो सकता है। विज्ञान के अंतर्गत आने वाले फिजिक्स, केमिस्ट्री और बायोलॉजी यानि पीसीबी की पढ़ाई से आपको माइक्रोबायोलॉजी, बायोटेक्नोलॉजी, फार्माकॉलोजी, फिजियोथेरपी, फूड टेक्नोलॉजी, न्यूट्रीशन और एन्वायरमेंट साइंस जैसे क्षेत्रों में करियर बनाने का विकल्प होता है।

पारंपरिक इंजीनियरिंग नहीं लेटेस्ट इंजीनियरिंग ज्वाइन करें

विज्ञान की पृष्ठभूमि वाले अधिकत्तर छात्र तो इंजीनियरिंग में ही प्रवेश लेना चाहते हैं। सामन्यतया इलेक्ट्रौनिक्स, इलेक्ट्रिकल, कंप्यूटर साइंस, मैकेनिकल, सिविल इंजीनियरिंग में ही छात्रों की प्रवेश की इच्छा रहती है, इन्हें ज्वाइन करके डिग्री भी हासिल कर लेते हैं। लेकिन इन पारंपरिक इंजीनियरिंग ब्रांचों से हटकर छात्र इंजीनियरिंग की अन्य ब्रांच जैसे मरीन इंजीनियरिंग, आईसी इंजीनियरिंग, कैमिकल इंजीनियरिंग,साउंड इंजीनियरिंग, माइनिंग इंजीनियरिंग, मैटलरजी इंजीनियरिंग, एरोनोटिकल इंजीनियरिंग, पेट्रोलियम इंजीनियरिंग, डेरी टेक्नोलॉजी , बायो टेक्नोलॉजी इंजीनियरिंग, नैनो टेक्नोलॉजी, स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग में प्रवेश ले सकते हैं, और इंजीनियरिंग की फील्ड में बेहतर मुकाम हासिल कर सकते हैं। हालांकि पारंपरिक इंजीनियरिंग के कोर्सेज में छात्रों की बढती संख्या के कारण नौकरी के अवसर अब सीमित हो गए हैं, लेकिन न्यू इंजीनियरिंग फील्ड के इन कोर्सेज को ज्चाइन करके छात्र अपना फ्यूचर ब्राइट बना सकते हैं।

मेडिकल में भी हैं कई विकल्प

आमतौर पर बायलॉजी पृष्ठभूमि के छात्र तो बारहवीं के बाद ही डॉक्टर बनने के सपने बुनने लगते हैं और मेडिकल प्रवेश परीक्षा की तैयारी में बहुत समय लगाते हैं, प्रवेश परीक्षा में बैठने वाले महज 40 फीसदी छात्र ही विभिन्न मेडिकल संस्थानों में एमबीबीएस में प्रवेश ले पाते हैं। बाकी में निराशा की भावना के साथ डिप्रेशन में चले जाते हैं, या फिर दुबारा से प्रवेश परीक्षा की तैयारी में लग जाते हैं। लेकिन सिर्फ एमबीबीएस में प्रवेश और तैयारी में समय बर्बाद करने से बेहतर हैं, मेडिकल फील्ड के अन्य पाठ्यक्रमों को ज्वाइन करें और डाक्टर बनने का सपना पूरा करें। हालांकि इन कोर्से को ज्वाइन करने के बाद तो न सिर्फ कैरियर की बेहतर संभावनाएं बढ़ जाती हैं बल्कि सैलरी पैकेज भी अच्छा मिलता है। बीयूएमएस (बैचलर ऑफ यूनानी मेडिसन एंड सर्जरी), बीएएसएलपी (बैचलर ऑफ ऑडियोलाजी स्पीच लैग्वेज पैथलॉजी), न्यूक्लीयर मेडिकल टेक्नोलॉजी, बीओटी (बैचलर ऑफ ऑक्यूपेशनल टेक्नोलॉजी) मेडिकल फील्ड के बेहतर कैरियर विकल्प है। इसके अलावा बीडीएस, बी फार्मा, बीएएमएसए, बीएचएमएस में प्रवेश लेकर स्पेशल ब्रांच का चयन करके मेडिकल फील्ड को ज्वाइन कर सकते हैं। इसके अलावा मेडिकल संबधित डिप्लोमा कोर्सेज भी कर सकते हैं। बायोलॉजी के छात्रों का एमबीबीएस डॉक्टर बनने का सपना पूरा नहीं हो तो वे आयुर्वेदिक, यूनानी या होम्योपैथिक डॉक्टर बनने का विकल्प भी चुन सकते हैं। ऑडियोलॉजी या स्पीच थेरेपी जैसे क्षेत्रों में भी करियर बनाया जा सकता है। फिजियोथेरपी और ऑक्यूपेशनल थेरपी की भी काफी डिमांड है। समुद्री विज्ञान में भी करियर बनाने के मौके हैं, जहां नर्सिंग, डेंटिस्ट्री और वेटनरी साइंस के विकल्प हैं। फार्माेकोलॉजी, फोरेंसिक साइंस, एन्वायरमेंटल साइंस, एग्रीकल्चर, हॉर्टिकल्चर, फ्लोरीकल्चर, फूड टेक और न्यूट्रीशन साइंस में भी करियर बनाया जा सकता है।

आर्ट्स भी है लाजवाब

एक आम धारणा यह रही है कि आर्ट्स स्ट्रीम से पढ़ाई करने के बाद आगे कोई अच्छा करियर विकल्प नहीं मिलता। लेकिन अब यह धारणा काफी हद तक बदल गई है, क्योंकि इस स्ट्रीम में ऐसे कई विषय हैं, जिनकी पढाई करके सरकारी और निजी क्षेत्रों में करियर की ऊंचाई छुई जा सकती है। इस करियर स्ट्रीम में सतक करने के इच्छुक स्टूडेंट्स अर्थशास्त्र, मनोविज्ञान, इतिहास, राजनीति शास्त्र, दर्शनशास्त्र, समाजशास्त्र, अंग्रेजी, हिंदी आदि विषयों का चयन कर सकते हैं। बीए और बीए (ऑनर्स) कोर्स एक सदाबहार विकल्प है। हां, इस बात का खास ख्याल रखिए कि अगर आपके मनमाफिक विषयों का कॉम्बिनेशन एक कॉलेज में उपलब्ध नहीं है, तो आप दूसरे कॉलेजों में भी जरूर ट्राई करें। आर्ट्स विषय पढने वाले अधिकतर स्टूडेंट्स वैसे तो सिविल सर्विस की तैयारी में जुटे रहते हैं, लेकिन इसके अतिरिक्त, प्रोफेशनल तौर पर एमबीए, जर्नलिज्म, मार्केट एनालिसिस, टीचिंग, एंथ्रोपोलॉजी, ह्यूमन रिसोर्स, एमएसडब्लू आदि क्षेत्रों में भी काफी करियर ऑप्शंस मौजूद हैं।

साइंस में भी हैं बेहतर विकल्प

विज्ञान वर्ग के अधिकतर छात्रों की रुचि बीएससी करने की रहती है। पहले बीएससी बॉयलोजी, केमिस्ट्री, फिजिक्स में ही उपलब्ध थी। लेकिन अब बीएसएसी में भी बेहतर विकल्प मौजूद है। इन्हें करके छात्र बुलंदियों को छू सकता है। बीएसएसी बायोइंर्फाेमेटिक्स, ऑर्थाेपोलॉजी, माइक्रोबायलॉजी, स्पीच थैरिपी, ऑक्यूपैशनल थैरिपी, फोरेंसिक साइंस, जैनेटिक्स, स्पोटर््स साइंस, होर्टीकल्चर, नर्सिंग, आडियोलॉजी, फिशरीज साइंस, मेडिकल लैब टेक्नोलॉजी, ऑपरेशनल थियेटर टैक्नोलॉजी, ऐनेस्थिसिया एंड ऑपरेशन के कोर्सेस करके छात्र बेहतर कैरियर बना सकते है। फिजिक्स, केमिस्ट्री और मैथेमैटिक्स यानि पीसीएम की पढ़ाई के दौरान इंफोर्मेशनल टेक्नोलॉजी, कंप्यूटर एप्लिकेशंस, आर्किटेक्चर, नॉटिकल साइंस, डेटा एनालिटिक्स और न्यूक्लियर फिजिक्स जैसे क्षेत्रों में करियर बनाने का विकल्प होता है। पीसीएम की पढ़ाई के बल पर आप डिफेंस में भी करियर बना सकते हैं।

मैनेजमेंट कोर्सेज

इंटरनेशनल और नेशनल मार्केट में अपनी पहचान बनाने की इच्छा रखने बाले छात्रों के लिए मैनेजमेंट से बेहतर कोई अन्य कैरियर विकल्प नहीं है। अगर छात्र की इच्छा मैनेजमेंट में कैरियर बनाने की है तो मैनेजमेंट संबधित कोर्सेज में प्रवेश ले सकते हैं। बीबीए और एमबीए इंटीग्रेटिड कोर्स बेहतर विकल्प हैं। सीए, सीएस, सीएमए भी छात्र के चार्टेड एकाउंटेट बनने का सपना पूरा कर सकता है। इसके अलावा बीएमएस (बैचलर ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज), बीएचएम (बैचलर ऑफ होटल मैनेजमेंट), रिटेल मैनेजमेंट, बीबीई (बैचलर ऑफ बिजनेस इक्नोमिक्स), बीबीएस (बैचलर ऑफ बिजनेस स्टडीज), बीआईबीएफ (बैचलर ऑफ इंटरनेशनल बिजनेस एंड फाइनेंस), एक्चयूरियल साइंस, बैचलर ऑफ स्टेटिक्स भी बेहतर कैरियर विकल्प हैं।

कॉमर्स में विकल्प

कॉमर्स स्ट्रीम में करियर बनाने वालों के लिए बीकॉम और बीकॉम (ऑनर्स) का विकल्प है। इसके जरिए आप बिजनेस अकाउंटिंग, फाइनैंशियल अकाउंटिंग, कॉस्ट अकाउंटिंग, ऑडिटिंग, बिजनेस लॉ, बिजनेस फाइनेंस, मार्केटिंग, बिजनेस कम्युनिकेशन आदि विषयों में कोर्स कर सकते हैं। कॉमर्स स्ट्रीम चुनने वालों के लिए भविष्य में एमबीए, सीएस, सीए, फाइनैंशियल एनालिस्ट जैसे तमाम करियर ऑप्शंस बांहें फैलाए रहते हैं।

करियर चुनने से पहले ध्यान दें

अमेटी यूनिवर्सिटी, गुड़गांव में असिस्टेंट प्रोफेसर मनोज पांडे बताते हैं कि युवाओं को तात्कालिक लाभ के चक्कर में न पड़कर लॉगटर्म फायदे के हिसाब से कोर्स का चयन करना चाहिए। योग्यता के हिसाब से मार्केट में क्या डिमांड है, उन्हीं कोर्स का चयन करें:-

  •  कोई भी कोर्स चुनने से पहले अपनी रूचि, योग्यता और उसमें उपलब्ध करियर विकल्पों पर जरूर विचार करें।
  • दूसरों की देखा-देखी या पारंपरिक प्रचलित कोर्साे की बजाय अपनी रूचि के नए विकल्पों को आजमाने में संकोच न करें।
  • यदि आर्ट्स में रूचि है, तो इसमें कदम आगे बढाने में बिल्कुल न झिझकें। इसमें भी विकल्पों की कमी नहीं हैं। यदि निर्णय लेने में कोई दुविधा है, तो काउंसलर की सलाह अवश्य लें।
  • लुभावने विज्ञापनों से प्रभावित न हों।
  • संस्थान की मान्यता, प्लेसमेंट परफॉर्मेंस की जानकारी जरूर करें। इससे आप ठगी का शिकार होने से बच जाएंगे।
  • बिना किसी लक्ष्य के पढाई न करें, बल्कि पहले दिशा तय कर लें और फिर उसके अनुरूप प्रयास करें।

व्यक्तित्व/बातचीत

सुमेधा त्रिपाठी

सुमेधा त्रिपाठी वर्तमान में सूयेज, गुडगांव में असिस्टेंट प्रपोजल मैनेजर के पद पर गत आठ साल से कार्यरत हैं। वें बताती हैं सामान्य बीएसएसी और एमएससी में स्कोप की संभावनाएं कम होती है, पीएचडी, नेट या, जे आर एफ के बाद ही रिसर्च स्कॉलर बन सकते हो या फिर प्रोफेसर। लेकिन अच्छी कंपनी में हाई प्रोफाइल जॉब और अच्छे सैलरी पैकेज के लिए पारंपरिक कोर्स पर निर्भर नहीं रह सकते, कुछ अलग से डिग्री या डिप्लोमा कोर्स की जरूरत होती है। उन्होंने एंवायरमेंटरल साइंस में थापर विवि से एमटेक किया तो अच्छी कंपनी में जॉब की संभावनाएं बढ़ गई जो सिर्फ एमएससी से संभव नहीं थीं। सिर्फ पारंपरिक विषय में एमएससी करनें के बाद इतना अच्छा सैलरी पैकेज नहीं मिल पाता, वर्तमान में बारह लाख सालाना के सैलरी पैकेज पर वे कंपनी में कार्यरत हैं। लेकिन कड़ी मेहनत और चुनौतियों के बूते वे इस कंपनी में अपनी योग्यता साबित कर पा रही हैं। वे प्रपोजल डिजाइनिंग, वेस्ट वॉटर मैनेजमेंट, वॉटर सीवेज ट्रीटमेंट प्लान पर भी कार्य कर रहीं हैं।

भास्कर उपाध्याय

भास्कर उपाध्याय वर्तमान में पी.एस.कैंसर केयर रिसर्च सेंटर, आगरा में चीफ रेडियेशन टैक्नोलॉजिस्ट के पद पर कार्यरत हैं। वे बताते हैं उन्होंने साल 2008 में बीएससी कम्पलीट की। बीएसएसी के साथ ही अनेक बार मेडिकल के लिए प्रवेश परीक्षा भी दी। कई साल मेडिकल में खराब करने के बाद उन्होंने एटोमिक एनर्जी एंड रेगूलेटरी बोर्ड, भारत सरकार द्वारा संबधित डिप्लोमा इन रेडियेशन टैक्नोलॉजी, गर्वमेंट मेडिकल कॉलेज, पटियाला से किया। कोर्स खत्म होने के बाद उन्होंने पहली जॉब अपोलो हॉस्पिटल, अहमदाबाद में की। वर्तमान में दस लाख के सालाना पैकेज पर आगरा में कैंसर रोगियों को रेडिएशन ट्रीटमेंट दे रहें हैं। लीनियर एक्सीलेटर एडवांस ट्रीटमेंट में हाई वोल्टेज पर कैंसर रोगियों के जिस अंग में कैंसर हुआ है, उसके उतक यानि टीशू को विभिन्न फ्रीक्वेंसी पर नष्ट किया जाता है। वे कहते हैं डाक्टर बनने का सपना देखने वाले युवा जिंदगी के कई साल सिर्फ तैयारी में खराब कर देते हैं, लेकिन विभिन्न मेडिकल कोर्स के माध्यम से छात्र इस सपने को पूरा कर सकते हैं और एक बेहतरीन संस्थान में अच्छे सैलरी पैकेज पर जॉब प्राप्त कर सकते हैं।

रोमांचक करियर के विकल्प

समुद्र का विज्ञान है ओशॅनोग्राफी

ओशनोग्राफी का आशय समुद्र विज्ञान में करियर से है। जिसमें बायोलॉजी, केमिस्ट्री, जियोलॉजी, मेटियोरोलॉजी और फिजिक्स के सिद्धांत लागू होते हैं। यह एक रोमांच से भरा क्षेत्र है भारत के पास काफी बड़ा समुद्रतट और इसके समुद्रीय पर्यावरण की बड़े पैमाने पर खोज नहीं होना है। ‘यह मूलतरू शोध एवं अनुसंधान पर आधारित प्रोफेशनल विषय है। अन्य विषयों की भांति इस क्षेत्र में भी उपशाखाएं समुद्री जीव विज्ञान, भूगर्भ समुद्र विज्ञान, रासायनिक समुद्र विज्ञान आदि मौजूद हैं और युवा दिलचस्पी के अनुसार करियर के लिए इनका चयन कर सकते हैं।

भारत में समुद्र की लम्बाई-चौड़ाई को देखते हुए ओशॅनोग्राफी में बेहतर करियर है। प्रयोगशाला से लेकर फील्डवर्क तक फैले इस काम का हिस्सा बनने के लिए विज्ञान या इंजीनियरिंग में स्नातक के बाद ओशॅनोग्राफी में मास्टर्स कोर्स जरूरी है। धरातलीय संसाधनों की घटती मात्रा और समुद्रीय संसाधनों की प्रचुरता ने इस ओर ध्यान देने के लिए प्रेरणा का काम किया है, साथ ही सूचना प्रौद्योगिकी और वैज्ञानिकों व उद्यमियों की जागरूकता के कारण समुद्री विज्ञान बहुत तेजी से विकास कर रहा है। परिणाम के रूप में ओशॅनोग्राफर की मांग पूरी दुनिया में तेजी से बढ़ रही है ताकि आने वाले सालों में तटीय पानी और सीमाओं, मौसम की भविष्यवाणी और समुद्री तत्वों के रखरखाव के लिए अधिक से अधिक पेशेवरों की जरूरत को पूरा किया जा सके।

योग में करियर के अवसर
योग विज्ञान पूरी दुनिया में तेजी के साथ फैल रहा है। योग सिर्फ शरीर व मन स्वस्थ रखने का साधन ही नहीं है, बल्कि यह एक ऐसा विज्ञान है जिसमें रोजगार की भी असीम संभावनाएं हैं।

योग में करियर बनाने के लिए सर्टीफिकेट, डिप्लोमा, डिग्री से लेकर मास्टर डिग्री तक के कोर्स संचालित किए जा रहे हैं। योग थैरेपी में फाऊंडेशन कोर्स, उन्नत योग शिक्षण प्रशिक्षण, बी.ए. इन योग दर्शन, एम.ए. इन योग जैसे कोर्स कर करियर बना सकते हैं। आयुष मंत्रालय के तहत योग को बढ़ावा देने के लिए कई तरह के कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं, जहां जॉब के बेशुमार अवसर हैं। स्किल डवैल्पमैंट के तहत भी इसे शामिल किया गया है। योग ट्रेनर, योग इंस्ट्रक्टर योग टीचर, योग थैरेपिस्ट के अलावा कई तरह के जॉब हैं।

एंथ्रोपोलॉजी
आपकी रुचि मानव के विकास को जानने में है तो एंथ्रोपोलॉजी आपके करियर के लिए एक अच्छा ऑप्शन हो सकता है। इस कोर्स में मानव विकास के इतिहास और वर्तमान का अध्ययन किया जाता है। एंथ्रोपोलॉजी में जीव विज्ञान, मानविकी और भौतिक विज्ञान की जानकारियों का अध्ययन कर मानव विकास के बारे में नई जानकारी निकाली जाती है।

ब्रांड मैनेजमेंट में करियर
प्रतियोगिता के इस दौड़ में निश्चित तौर पर हर कंपनी अपने उत्पाद को अलग ढंग से प्रस्तुत करना चाहती है ग्राहकों की मांग को देखते हुए अपने उत्पाद की ब्रांडिंग चाहती है । अपने उत्पाद को अलग ढंग से प्रस्तुत करने की यही कला ब्रांडिंग कहलाती है। ब्रांडिंग की इस प्रकिया में ब्रांड मैनेजर अहम भूमिका निभाता है।

ब्रांड मैनेजमेंट के अंतर्गत किसी खास उत्पाद को मार्केटिंग तकनीकों के प्रयोग से ग्राहकों के सामने इस ढंग से पेश किया जाता है ताकि उसकी छाप लंबे समय तक बरकरार रहे। बतौर ब्रांड मैनेजर भाषा की अच्छी पकड़ बाजार की पूरी जानकारी होने के साथ-साथ ग्राहकों की उत्पाद को लेकर क्या मांग है उस पर आपकी पैनी नजर होनी जरूरी है। इसी के साथ आपमें रचनात्मकता और लोगों से अच्छे संपर्क साधने की कला भी होनी चाहिए।

कोर्स को करके आपके पास कई विकल्प हैं। करियर की शुरुआती तौर पर प्रोडक्ट मैनेजर या ब्रांड डेवलपमेंट मैनेजर के रूप में कामकर सकते हैं। कोर्स पूरा करने के बाद प्लेसमेंट देश की प्रमुख कंपनियों जैसे हिन्दुस्तान लीवर, गोदरेज, मंहिद्रा एंड मंहिद्रा, सन फार्मा, आदित्य बिरला ग्रुप, रिलायंस आदि में हो जाता है।

पर्सनल स्टाइलिस्ट बनें, करें मेकओवर

पर्सनल स्टाइलिस्ट का काम होता है लोगों का मेकओवर करना और लोगों के ड्रेसिंग सेंस को भी बढ़ाना। एक्टर, मॉडल अपने पास ऐसे लोगों को रखते हैं ताकि वे हर मौके पर कुछ अलग दिख सकें। पर्सनल स्टाइलिस्ट बनने के लिए जो बेसिक जरूरत है वो है अपने क्लाइंट के मन को पढ़ना कि वह क्या चाहता है? इसके लिए आपको थोड़ी सी रिसर्च करनी होगी। वे लोग इस प्रोफेशन में करियर बना सकते हैं जो लोगों के मूड, शख्सियत, ड्रेसिंग सेंस को जानते हैं। इसके लिए आपको हर दिन की फैशन जगत की अपडेट रखनी होगी।

ऐप डेवलपर में करियर
ऐप्स के कारण ही स्मार्टफोन इस्तेमाल करने वाले लोगों की संख्या तेजी से बढ़ रही है और इसी के साथ बढ़ रहे हैं, ऐप डेवलपमेंट में करियर बनाने के अवसर। अगर आपको भी स्मार्टफोन्स की लेटेस्ट ऐप्स के बारे में जानने और उनके टेक्निकल पहलुओं को समझने में दिलचस्पी है, तो आप बन सकते हैं बेहतरीन ऐप डेवलपर। एक अनुमान के मुताबिक स्मार्टफोन्स का बाजार मोबाइल ऐप्स के कारण दोगुनी तेजी से बढ़ रहा है। लोग सुविधा के लिए में मोबाइल ऐप्स को इस्तेमाल करना पसंद कर रहे हैं। अगर आपको भी इन मोबाइल ऐप्स के फंक्शन और साफ्टवेयर के दिलचस्पी है तो इसमें शानदार करियर बना सकते हैं।

(लेखिका राजस्थान के मेवाड़ विश्वविद्यालय में पत्रकारिता विभाग की विभागाध्यक्ष हैं और टेक्निकल टूडे पत्रिका में सह संपादक हैं)

Email : hod.priyanka@gmail.com

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